जब मनुष्य अपने ज्ञान से एवं सामर्थ्य के बल पर कोई भी कार्य पूर्ण नहीं कर पता तो वह ईश्वर कि शरण में जाता है वैसे तो हर देव से लोग प्रार्थना करते है किन्तु उन सब देवों में रिद्धि-सिद्धि एवं बुद्धि के देव विघ्नेश्वर भगवान श्री सिद्ध गणेश का स्थान विशिष्ट है | मनुष्य तो उनसे प्रार्थना करते ही हैं, देवता भी जब अपना कार्य पूर्ण करने में समर्थ नहीं होते तो वे भी गणेश भगवान से अर्जी लगाकर अपना अभीष्ट प्राप्त करते हैं | श्री सिद्ध गणेश जी से अर्जी लगाने की परम्परा अनादि काल से चली आ रही है| देवताओं की अर्जी
गणपति की सेवा, मंगल मेवा, सेवा से सब विघ्न हारें |
तीन लोक के सकल देवता, द्वार खड़े, सब अरज करें ||
भगवान श्रीराम की अर्जी
गणपति गौरी गिरीश मनाई| चले आशीष पाथ रघुराई ||
जनक नंदनी माता सीता जी कि अर्जी
गन नायक वर दायक देवा|आजुलागि किन्हीं तव सेवा || बार-बार बिनती सुन मोरी| चाप गुरुता अतिथोरी ||
गोस्वामी तुलसी जी कि अर्जी
गाइये गणपति जगवंदन, शंकर सुवन भवानी के नंदन | सिद्धि सदन-गजवदन विनायक, कृपासिंधु सुंदर सब दायक || मोदक प्रिय मुद मंगलदाता, विद्यापारिधि बुद्धि विधाता | मांगत तुलसीदास कर जोरे, बसहिं रामसिय मानस मोरे ||
श्री सिद्ध गणेश मंदिर, ग्वारीघाट में अर्जी
श्री सिद्ध गणेश मंदिर निर्माण में बहुत बड़ी वाधा आ गयीं मंदिर के संस्थापक ब्रम्हर्षि स्वामी रामबहादुर जी महाराज ने अपने सहयोगियों सहित वाधा दूर करने अपनी बुद्धि, बल, पहचान, पहुँच सभी का पूरा उपयोग किया किन्तु वाधा दूर होने की जगह "अंगद के पैर" जैसी और प्रवल होती जा रही थी, तब स्वामी रामबहादुरजी ने भगवान श्री सिद्ध गणेश कि स्थापना कर भगवान से पहली अर्जी यही लागी कि श्री सिद्ध गणेश मंदिर स्थापना में आयी हुई सारी वाधाओं को दूर करें अन्यथा लोग उनका उपहास करने के साथ भगवान का उपहास करने में पीछे नहीं रहेगें- भगवान श्री सिद्ध गणेश जी ने अर्जी स्वीकार की वह वाधा ऐसे दूर हो गई जैसे कोई वाधा रही ही न हो, जैसे हवा के एक झोंके से सूखे पत्ते दूर उड़ जाते हैं वैसे ही वाधा समाप्त हो गई और मंदिर निर्माण का मार्ग प्रसस्त हुआ | उसी के बाद से भगवान श्री सिद्ध गणेश जी के दरवार में अर्जी लगाने का क्रम प्रारंभ हो गया | हज़ारों लोग अपनी इच्छित कामना पूर्ण करने श्री सिद्ध गणेश मंदिर पहुँच अर्जी लगाकर अपनी कठिनतम समस्याओं का निवारण कर इच्छा का फल प्राप्त कर रहें हैं | अर्जी लगाने वालों में हर वर्ग, हर समुदाय, जाति, धर्म पंथो को मानने वाले लोग सम्मिलित हैं | संतान प्राप्ति हेतु, बुद्धि प्राप्ति हेतु, नौकरी, व्यवसाय, रोजगार प्राप्ति एवं उसमें उन्नति, स्थानातंरण-पदोन्नति, वीमारी वाधा, शारीरिक कष्टों से छुटकारा, चुनाव में विजय मंत्री पद प्राप्ति हेतु भी लोग अर्जी लगाते हैं | अर्जी लगाने वालों में मजदूरों से लेकर उच्च प्रशासनिक पद पर आसीन अधिकारी संत्री से लेकर मंत्री उच्च एवं सर्वौच्चन्यायालय के न्यायधीश भी सम्मलित हैं भक्तों का पूर्ण विश्वास है कि श्री सिद्ध गणेश जी मनोकामना शीघ्र पूर्ण करते हैं | जहाँ विधि विधान के साथ पूजन अर्चन सहस्यार्चन होता हैं वहाँ देवी शक्ति विद्धमान रहती हैं वह भूमि पावन, पवित्र एवं जागृत हो जाती हैं | श्री सिद्ध गणेश मंदिर में प्रतिवर्ष गणेश चतुर्थी से लेकर अनन्त चतुर्दशी तक विशिट पूजन अनुष्ठान संभव होते हैं इसी कारण यहाँ अर्जी लगाने वाला भक्त कभी खली नहीं लौटता |
श्री सिद्ध गणेश मंदिर, ग्वारीघाट में अर्जी लगाने की विधि
श्री सिद्ध गणेश जी से अर्जी लगाने के लिए श्रद्धालु जन श्रीफल(नारियल)लेकर मंदिर में पुजारियों के पास पहुँचते हैं मंदिर के रजिस्टर में अर्जी लगाने वाले का पूरा नाम एवं पता अंकित किया जाता हैं उसके बाद जिसकी जो मनोकामना है वह लिखी जाती है मंदिर के रजिस्टर का न. जिसे भक्त का रजिस्टेशन न. कहा जा सकता है नारियल में बाँधा जाता है तथा उसी की छोटी पर्ची लिखाने वालों को दी जाती है इसके बाद भक्त नारियल फूल दूर्वा लेकर श्री सिद्ध गणेश जी के समक्ष खड़े होते है पुजारी लोग भगवान से प्रार्थना करते है-
गजाननं भूतगणाधिसेवितं कपित्थ जम्बू फल चारु भक्षणं |
उमासुतं शोक विनाश कारकं नमामि विघ्रेश्वर पाद पंकजं ||
विघ्रेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धिताय |
नागाननाय श्रुतियज्ञ विभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमोनमस्ते ||
जेहि सुमिरत सिधी होय, गणनायक करिवर वदन |
करहु अनुग्रह सोई, बुद्धि राशि शुभ गुण सदन ||
प्रभो आपके दरवार में अमुक व्यक्ति इस तरह की कामना लेकर आया हैं आपकी कृपा से उसकी कामना पूर्ण हो इच्छित फल की प्राप्ति हो आपकी कृपा दृष्टि सदैव बनी रहे|
अर्जी भक्त एवं भगवान तक ही सीमित रहती हैं उसका सार्वजनिक प्रचार प्रसार नहीं किया जाता |
श्री सिद्ध गणेश मंदिर, ग्वारीघाट जबलपुर